Monday, March 30, 2009

यमक अलंकार और राका


राका उर्फ़ राकेश तिवारी मेरे परम मित्रो में से हैं. हमारी मित्रता इनसे तब हुई जब हम खाद्य प्रबंधन मैं लखनऊ से उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे थे. मैंने उच्च शिक्षा इसलिए कहा क्योंकि यह हमने अपनी बारहवी जमात पास करने के पश्चात किया.


लखनऊ की अपनी एक पहचान और यूँ कह लीजिए की एक चरित्र है. वहां के लोगो मैं एक ख़ास तहजीब, बात करने का एक ख़ास अंदाज़ और खाने पीने की बहार है.

जब मैं कॉलेज मैं पढ़ रह था तो मैं अपने दल के लड़को में चरसी के नाम से प्रसिद्ध था, अब चरसी का मतलब यह नहीं है की मैं चरस पीता था बल्कि यहाँ पर चरस का मतलब दूसरो का दिमाग चाटने से हैं. अब मुझे यह तो नहीं मालूम की इस शब्द की उत्पति कैसी और कहाँ हुई पर यह जरूर मालूम है की तीन साल IHM में मैं चरसी no 1 के नाम से जाना गया.


खैर ये तो हुई पुरानी बात, हमारी मित्रता को बारह साल हो गए है और अब भी यथावत बनी हुई है. जब भी मेरा किसी का दिमाग चटने या फिर चरस करने का मूड होता है तो मैं राका को फ़ोन कर लेता हूँ और अपने मन की इच्छाओं की पूर्ती कर लेता हूँ. अभी कुछ ही दिन पहले की बात है की मेरे मस्तिषक मैं कोतुहल जगा की यमक अलंकार के बारे मैं शोध किया जाए.

मेरे स्वर्गीय पिताजी हिंदी के अच्छे ज्ञाता थे और उन्हें कविराज भूषण की कविताएँ बहुत प्रिय थी. वो दो कविताओं का प्रसंग बार बार छेड़ते थे, पहली- इन्द्र जिमी जम पर .....और दूसरी - एल खेल बैल फैल.... यह जो कविताएँ हैं यह हिंदी के अलंकारों के समझने के लिए अति उपयुक्त है, खासकर के यमक अलंकार. जो लोग यमक अलंकार से परीचित है, उन्हें ज्ञात होगा की इस अलंकार मैं एक जैसे वाक्यों के दुआर्थ होते है. उदाहारण के लिए दादा कोंडके के द्वारा निर्मित अधिकाँश फिल्में, "अँधेरी रात में दिया तेरे हाथ में" या डेविड धवन और गोविंदा के फिल्मों के संवाद.

हमने अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए और राका जी के ज्ञान चक्षु खोलने के लिए फ़ोन लगाया और पुछा...... " हा भाई जानते हो यमक अलंकार क्या होता है" तो जवाब आया - हा वही न जिसमे एक ही अक्षर बार बार आता है जैसे चंदू के चाचा ............ blah blah blah blah ।

अर्थात राका इस से तथ्य से पूरी तरह से अनभिज्ञ था लेकिन स्वीकार नहीं करना चाहता था. हम ने भी कच्ची गोलिया नहीं खेली , हमने भी राका तो भूषण जी की कविता सुनाई और बतलाया की तीन बेर खाती थी और तीन बेर खाती हैं में यमक अलंकार है, क्योंकि दोनों वाक्यों के अलग अलग अर्थ है. साथ साथ हमने उन्हें इस बात से परीचित karaya ki आजकल हम ब्लॉग लिख रहे है और हमारे ब्लॉग का नाम आतम मंथन है।

राका को मेरी इस तरह की बात बहुत पकाऊ लगती है इसलिए वो मुझे बात बात में चरसी बुलाता रहता है. बात आई गयी हो गई. राका ने एक दो बार ब्लॉग पढने की कोशिश भी करी, पर उनके बस का नहीं है, इसलिए पूरा पढ़ नहीं पाए.

आजकल मेरी श्रीमती जी अपने मायके गई हुई, और राका को पता है की जब वो यहाँ नहीं होती है तो मेरे पास अपनी उदर पूर्ती करने के लिए रामबाण है जिसका नाम है maggi नूडल्स..राका को आत्म मंथन का मतलब तो मालूम नहीं चला पर उस से मिलता जुलते एक शब्द के बारे में उन्हें अच्छे से ज्ञान है. तो आजकल जब उनसे बात होती है तो उनका एक ही तकियाकलाम है......गौरव आत्म मंथन करो, maggi खाओ और सो जाओ.

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