Saturday, May 16, 2009

एक परिचय मेरे दोस्तों का


कॉलेज के दिन भुलाये नही भूलते है, मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही है। मेरे ज्येस्थ भ्राता श्री का कहना है की मुझे राका के सिवा दूसरा कोई किरदार नही मिलता है क्या? पर में क्या करू, राका कैरेक्टर ही इतना दिलचस्प है की उसके किस्से ख़तम ही नही होते है। वैसे आज जब में सोचने बैठा तो मैंने गौर किया, वाक़ई हमारे आस पास कई सारे पात्र होते है जो हमारे साथ खुशिया बाटते है, हम्हे गुदगुदाते है, हमारा हौसला बढाते है और blah blah blah ........

ihm के तीन सालो में भी मेरी मित्रता ऐसे ही कुछ लड़को से हुई जिनका में विस्तार से वर्णन करना कहूंगा।

पहला साल तो बहुत तेजी से निकल गया, दूसरे सत्र के शुरू में मेरी दोस्ती हुई सांगा नाम के लड़के से, हम दोनों को अपनी industrial ट्रेनिंग करने के लिए ताज महल होटल में काम मिला था।


सांगा का पूरा नाम राजीव सांगा था और वह अच्छी कद काठी एवं आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी था। साथ ही साथ एक प्रफ्फुलित ह्रदय और जिंदगी को हलके फुल्के ढंग से लेने वालो में था। यह एक ऐसा लड़का था जो किसी भी महफिल या जमघट में अपने होने का एहसास आराम से करा लेता था, और सबसे जरूरी बात, कन्याये इनसे बहुत प्रभावित रहती थी और मधुमखी की जैसे शहद के चारो और मंडरायी रहती थी। इनका mission या motto था की जिस लड़की पर उँगली रख दू वो मेरी हो जाती है।

ज्यादा महत्वाकांक्षी नही थे और पढ़ाई भी जितनी मतलब की हो उतनी ही करते थे। एक और महारत  जो इन्हे हासिल थी वो यह की लखनऊ के चप्पे चप्पे का इन्हें ज्ञान था और कहाँ पर सबसे लज़ीज़ कबाब, छोले बठुरे, कचोरियाँ, कुल्फी या बिरयानी मिलती है, पूरी जानकारी yellow pages में with google maps फीड थी.

राका उर्फ़ राकेश तिवारी बहुत ही छरहरी सी कद काठी का स्वामी था पर don गिरी में किस से कम नहीं था। इसके पास एक हरे रंग का प्रिया स्कूटर हुआ करता था। यह आपको हमेशा कॉलेज के गेट के बहार चाय की तपड्डी पर ही बैठा मिला करता था। इनका लाइफ में motto था सब हो जाएगा एवं सब चलता है । महत्वाकांक्षा क्या होती है उस से इनका कोई सारोकार नहीं था। इनका ध्यान सिर्फ़ लड़कियां देखने yani ki laundiyabaaji और उनको छेड़ने में लगा रहता था। हम दोनों एक साथ ही कॉलेज आते थे और चूँकि मेरे पास स्कूटर नहीं था इसलिए मेरा आना जाना इन्ही पर निर्भर करता था। सुबह सुबह यह मुझे लेने आते थे और रोज़ इनका एक ही dialogue होता था चलो पांडू अब अपनी टिका लियो (मतलब पीछे बैठ जाओ)। पढ़ाई से इनका दूर दूर का नाता नहीं था और क्लास्सेस में आना यह अपनी शान के ख़िलाफ़ समझते थे। और अगर गलती से क्लास में आ भी गए थो शिक्षको को परेशान करना इनका पहला उदद्शय होता था।

लूका उर्फ़ रजत सिंह रईस बाप की बिगड़ी औलाद की उपमा पर फिट बैठते थे । अलीगंज के teacher इन्हें स्कूल का नाम रोशन करने का जिम्मेवार बताते थे। मेरे सुनाने में आया था की इन्होने अपने स्कूल में खूब मार कुटाई करी थी और इनको भी एक बार तारो पे लिटा लिटा kar धुना गया था। कॉलेज में लूका allrounder था, भले ही पढ़ाई में पूरी रूचि न हो लेकिंग परीक्षा के दिनों में जाग जाग कर पढ़ाई करता था। क्रिकेट का बेहतरीन खिलाडी और गोविंदा के गानों की धुनों पे डांस करने वाला बेहद ही प्रतिभावान छोरा था। अत्यन्त महत्वाकांक्षी और जुगाड़ वाला था, और surprise surprise........ थुलथुले शरीर का होने और अपनी कुख्यात छवि के बावजूद लड़कियों में पोपुलर था। मुझे आज तक समझ नही आया की लड़कियों को इसमे क्या भाता था।
एक बार मैंने इसकी बहुतो में से एक girlफ्रेंड से पुछा भी........ यह बताओ आखिर तुमने लूका में ऐसा क्या देखा?
वह बोली......... मुझे weird लड़के पसंद है। ( मेरी शंका का समाधान हो गया था)
राका, लूका एवं सांगा (रूप तेरा मस्ताना)

नथू उर्फ़ नवीन नाथ उर्फ़ कायस्थ का बच्चा कभी सच्चा, सच्चा हो तो गधे का बच्चा। इनका शुम्मार भी मेरे करिरबी मित्रो में होता था और जब भी combined study होती थी तो जमावाडा इन्ही के घर पर होता था। वैसे यह funda है बहुत जबरदस्त, सारे साल पडो मत और exam से पहले लड़के एक जगह जमा हो कर अध्यन करते थे। अध्यन तो क्या bc ज्यादा करते थे। नथू शातिर और बहुत ही नाप तौल के कदम रखने वालो में से एक था। to him everything had to be analysed in terms of profit and loss, till date he is the same.


कुक्कू के बारे में तो पहले एक ब्लॉग में विवरण दे चुका हूँ। chracters और भी थे लेकिन लिखने बैठा तो शायाद एक किताब लिख डालू।

अपने बारे में लिखने की तुक बनती नही है, मुझे ऐसा लगता है जिन सब के बारे में मैंने लिखा है यही लोग मेरे बारे में व्याख्यान कर देंगे। आगे इन परिचयों को लेकर कुछ और कहानी और किस्सों का ताना बना बुनने का प्रयास करूंगा।

5 comments:

  1. Its very interesting and i find it funny too. Seems like a work done by some professional writer. Good job keep it up

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  2. thanks Vaibhav, it makes me feel really good, but i think, all these guys will give me a sound beating when they read this. I am not going to be a popular man.

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  3. raka would be the only king who is not a singh but still a king. jai ho raka ji ki.

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  4. pandey sir.....Aliganj.. lucknow ne aapne ithaas mei tum se bada charsi nahi deekha hooga. Tum bhoot hi dilchaasp aur vichrit insaan ho.
    tum ek leekh apne sasuraal waloo ke bare mei bhi likhoo lets c wat u think about ur austrian relatives. Bhabhiji ke baare maat likhna nahi too bhoot juute padeenge tumko.

    IHM lucknow ke aadarneya shickshakoo ke baar bhi tumhare vicharr viyaak karro kabhi.

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  5. wah guru! kya likhte ho, maza aa gaya!1

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