Friday, April 3, 2009
Loch ness का कूप मंडूक
पिछली गर्मियों मैं हमने कार्यक्रम बनाया की क्यों न इस साल स्कॉट्लैंड घूम कर आया जाए। तुरत फुरत में मैंने अपने परम मित्र राका को फ़ोन लगाया और कहा- "भई हमारी बड़ी इच्छा कर रही है स्कॉट्लैंड घूमने की, अगर तुम भी दो तीन दिन की छुट्टी ले लो तो चलो highlands घूम कर आते है। राका ने इस प्लान को स्वीकरती दे दी।
मैं और मेरी श्रीमती जी अपने शहर Derby जोकि Glasgow से लगभग पाँच घंटे की दूरी पर है, के लिए निकल पड़े. Glasgow पहुंचे तो राकेश एवं उनकी श्रीमती जी ने हमारा काफ़ी गरमजोशी से स्वागत किया, हमे जलपान कराया और फिर थोडी देर विश्राम करने के पश्चात हम लोग आगे की यात्रा की योजना बनाने के लिए बैठ गए। मैंने कहा भई हमने loch ness के बारे में बहुत सुना है, सब लोग कहते है की बड़ी ही मनोरम सी जगह है। हमने Glasgow से Inverness की दूरी को google किया तो पता चला की पाँच घंटे की और ड्राइव है।
मुझे ड्राइव करने का शौक है और साथ साथ घूमने का भी, मैंने तो एकदम से इस प्लान पर अपनी हामी भर दी.मैंने एलान कर दिया की कल हम पौ फटते ही रवाना हो जायेंगे क्योंकि रास्ता लंबा है और मैं रास्ते में आने वाले नेसर्गिक सौन्दर्य का भरपूर आनंद लेना चाहता हूँ। हमारी श्रीमती जी जिनका हिन्दी में हाथ थोड़ा तंग है बोली की आप सबके सामने vulgar बातें क्यों कर रहे हो, ज्यदा करोगे तो मैं तुम्हार पौ फाङ दूूंगी 😁😁, अपनी जुबान पर लगाम लगा लिया करो ( mind your language)
अगले दिन सुबह सुबह हम चारो लोग Inverness के लिए निकल पड़े, मेरी आदत है की जब मैं ड्राइव करता हूँ तो बहुत ज़ोर ज़ोर से लगा कर गाने सुनता हूँ और दूसरे की पसंद या नापसंद की मुझे परवाह नहीं होती है। भाग्यवश संगीत के मामले में मेरी और श्रीमती जी की पसंद एक ही है, इसलिए ज्यादा समस्या नहीं होती है।
हमेशा की तरह मैं ज़ोर ज़ोर से गाने तो बजा रहा था और क्योंकि मेरी कोल्लेक्शन मैं पाश्चात्य संगीत की भी भरमार है, धीरे धीरे गाड़ी में अंग्रेज़ी गाने बजाने लगे। भाभी जी को अंग्रेज़ी गानों से hate है तो वो बोली- " क्या गौरव भइया कैसे घटिया गाने बजा रहे है आप, कुछ अच्छे गाने सुनाईये"।
मैं गाने बदलता रहा लेकिन भाभी जी को मेरी पसंद रास न आई, तब मैंने खीज कर बोला-- "अबे राका तुमने कूप मंडूक की कहानी सुनी है क्या? राका बोलिस " हाँ सुनी तो है, लेकिन भूल गए है।
मैंने कहा कोई बात नहीं हम सुना देते है.
हमने कहानी सुनानी शुरू करी -एक मेंडक था वो कुए में रहता था और वो कुए में ही रह गया.
भाभी जी यह सुनकर बोली - गौरव् भइया क्या आप हमे कूप मंडूक कह रहे है? मैंने कहा नहीं नहीं, मैं तोj यूँ ही एक कहानी सुना रहा था।
यात्र्ता बढती रही है और हम शाम के समय loch ness पहुँच गए, वह का मंजर अति मनोरम और ह्रदय को रोमांचित करने वाला था। तीन तरफ़ पहाड़ और एक लम्बी सी विशाल झील, चारो तरफ़ हरियाली और शान्ति।
loch ness के बारे मैं एक किवदंती मशहूर है की उसमे एक monster रहता है और उसने काफ़ी सारी नावों को आदमियों को अपना शिकार बनाया है। जब हम लोग वापस आ रहे थे तो भाभी जी ने राका से पुछा, ....अजी आपको पता है यह loch ness monster की कहानी क्या है ? तो राका बोला हाँ........... एक मेंडक था वह कुए मैं रहता था ओर कुए मैं रह गया।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
kiwanddantiyan to janab har shetra se judi hain. acha likha aapne. badhayi
ReplyDeletebadiya hai,bahut he uttam likha apne.
ReplyDelete